IIT वाले बाबा ने महाकुंभ छोड़ा:कहां गए, किसी को पता नहीं; माता-पिता ढूंढते हुए प्रयागराज पहुंचे

प्रयागराज1 दिन पहले

प्रयागराज महाकुंभ से चर्चा में आए IIT वाले बाबा अभय सिंह ने आश्रम छोड़ दिया है। कहां गए? यह किसी को नहीं पता। गुरुवार रात उन्हें तलाशते हुए उनके माता-पिता भी जूना अखाड़े के 16 मड़ी आश्रम पहुंचे, लेकिन तब तक वो जा चुके थे।

आश्रम के साधुओं ने बताया- अभय लगातार मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे, जिससे उनका मानसिक तनाव बढ़ रहा था। उन्होंने मीडिया में कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जो विवाद का कारण बन गईं। इसके चलते ही उन्होंने आश्रम को छोड़ने का फैसला लिया।

माता-पिता के साथ IITian बाबा अभय सिंह की तस्वीर। अभय ने अब माता-पिता और बहन का नंबर ब्लॉक कर रखा है।

माता-पिता के साथ IITian बाबा अभय सिंह की तस्वीर। अभय ने अब माता-पिता और बहन का नंबर ब्लॉक कर रखा है।

IITian बाबा हरियाणा के झज्जर के रहने वाले अभय हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता कर्ण सिंह एडवोकेट हैं। झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान भी रह चुके हैं। अभय ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की।

इसके बाद कनाडा जाकर एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम किया। हालांकि, अचानक वह देश लौटे और कुछ समय बाद घर से गायब हो गए। महाकुंभ से जब उनकी वीडियो वायरल हुई तो परिवार को पता चला। हालांकि, अब वे इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते।

अभय सिंह के इंजीनियर से संन्यासी बनने की कहानी…

कोचिंग के लिए कोटा की जगह दिल्ली गया अभय सिंह का जन्म झज्जर के गांव सासरौली में हुआ। वह ग्रेवाल गोत्र के जाट परिवार में जन्मे। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई भी झज्जर जिले से की। पढ़ाई में वह बहुत होनहार थे। इसके बाद परिवार उन्हें IIT की कोचिंग के लिए कोटा भेजना चाहता था। मगर अभय ने दिल्ली में कोचिंग लेने की बात कही।

IIT बॉम्बे में पढ़ाई, कनाडा में काम किया कोचिंग के बाद अभय ने IIT का एग्जाम क्रैक कर लिया। उन्हें IIT बॉम्बे में एडमिशन मिल गया। अभय ने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली, फिर डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री की।

अभय की छोटी बहन कनाडा में रहती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद परिवार ने उन्हें अच्छे फ्यूचर के लिए कनाडा भेज दिया। कनाडा में अभय ने कुछ समय एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम भी किया। उन्हें हर महीने 3 लाख रुपए सैलरी मिलती थी।

बाबा अभय सिंह (सबसे पीछे) की दोस्तों के साथ तस्वीर। उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है।

बाबा अभय सिंह (सबसे पीछे) की दोस्तों के साथ तस्वीर। उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है।

लॉकडाउन की वजह से कनाडा में फंसे इसके बाद कनाडा में लॉकडाउन लग गया, जिस वजह से अभय भी कनाडा में ही फंस गए। परिवार का कहना है- अभय की अध्यात्म में पहले से ही रुचि थी। लॉकडाउन के दौरान अभय जब अकेला पड़ा तो उसने अपनी जिंदगी के बारे में ज्यादा गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया।

घर लौटे तो ध्यान लगाने लगे जब लॉकडाउन हटा तो अभय भारत लौट आए। यहां आने के बाद वह अचानक फोटोग्राफी करने लगे। अभय सिंह को घूमने का भी शौक रहा, इसलिए वह केरल गए। उज्जैन कुंभ में भी गए थे। हरिद्वार भी गए।

अभय घर में भी ध्यान लगाने लगे। परिवार जब उनकी शादी की बात करता तो उसे अच्छा नहीं लगता था। हालांकि, उनके मन में क्या चल रहा था, इसका आभास परिवार में किसी को नहीं था।

पिता कर्ण ने बताया कि अभय शुरू से पढ़ने में अच्छा था। रात दो-ढाई बजे तक पढ़ता रहता था।

पिता कर्ण ने बताया कि अभय शुरू से पढ़ने में अच्छा था। रात दो-ढाई बजे तक पढ़ता रहता था।

11 महीने पहले अचानक घरवालों से संपर्क कटा परिवार के मुताबिक, 11 महीने पहले अचानक अभय सबके संपर्क से बाहर हो गया। परिवार ने बहुत कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई। वह इतना कहते थे कि कोई जरूरी काम हो तो मैसेज कर दिया करो।

हालांकि, करीब 6 महीने पहले परिवार को चिंता हुई और अभय से बात करनी चाही तो उन्होंने माता-पिता और बहन का नंबर भी ब्लॉक कर दिया।

पिता बोले- वापसी पर तकलीफ होगी, मां संन्यासी बनने से दुखी अभय के पिता कर्ण ने कहा कि वह बचपन से ही बातें बहुत कम करता था। लेकिन हमें कभी यह आभास नहीं था कि वह अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़ेगा। क्या वह अपने बेटे को घर लौटने के लिए कहेंगे। इस पर उन्होंने कहा- मैं कह तो दूंगा, लेकिन उसे तकलीफ होगी।

उसने अपने लिए जो निर्णय लिया, वही उसके लिए सही है। मैं कोई दबाव नहीं डालना चाहता। वह अपनी धुन का पक्का है। हालांकि, इकलौते बेटे के अचानक संन्यास लेने से मां खुश नहीं है।

अभय सिंह ने कहा- इस सामाजिक दायरे को तोड़ना बहुत मुश्किल था। अब मै घर नहीं जाता हूं।

अभय सिंह ने कहा- इस सामाजिक दायरे को तोड़ना बहुत मुश्किल था। अब मै घर नहीं जाता हूं।

अभय ने कहा था- मेरा काम परिवार को पसंद नहीं इस मामले में मीडिया ने जब अभय सिंह से बात की थी, तो उन्होंने कहा था- मैं जो करना चाहता था, वह परिवार को पसंद नहीं था। घरवालों की शादी की बात में मेरी कोई रुचि नहीं थी। मैं हमेशा से ही घर छोड़ना चाहता था। इसीलिए मैंने IIT मुंबई से पढ़ाई की।

इंजीनियरिंग करने के बाद अभय कनाडा चले गए थे। करीब 2 साल तक कनाडा में जॉब करने के बाद भारत लौट आए थे।

इंजीनियरिंग करने के बाद अभय कनाडा चले गए थे। करीब 2 साल तक कनाडा में जॉब करने के बाद भारत लौट आए थे।

अभय बोले- मेरी भी गर्लफ्रेंड थी एक मीडिया चैनल से अभय सिंह ने अपनी लव लाइफ पर बात करते हुए कहा- मेरी भी गर्लफ्रेंड हुई। हम 4 साल के आसपास साथ रहे, लेकिन शादी तक बात नहीं पहुंची। मैं मां-बाप के झगड़ों को देखकर शादी करना ही नहीं चाहता था।

जिंदगी में भी वही सब झगड़े होते। इसलिए सोचा क्या करना है। अच्छा है अकेले रहो और खुश रहो। मुझे ऐसा लगता था कि ऐसे ही लड़ाई झगड़ा करना है तो इससे अच्छा है कि अकेले ही जियो।

अभय सिंह बताते हैं कि मैंने साधना की। मैं सोचता था कि मोह-माया में न ही पड़ूं। स्कूल से आने के बाद दिन में सो जाता था। उसके बाद रात 12 बजे उठता था।

अभय सिंह बताते हैं कि मैंने साधना की। मैं सोचता था कि मोह-माया में न ही पड़ूं। स्कूल से आने के बाद दिन में सो जाता था। उसके बाद रात 12 बजे उठता था।

साइंस के जरिए अध्यात्म को समझ रहा हूं उन्होंने कहा कि अब अध्‍यात्‍म में मजा आ रहा है। मैं साइंस के जरिए अध्यात्म को समझ रहा हूं। इसकी गहराइयों में जा रहा हूं। सब कुछ शिव है, शिव ही सत्य है और शिव ही सुंदर है।

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