मई 2025 में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की “जीरो टॉलरेंस” नीति को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले का सीधा जवाब था, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी। इस हमले में विशेष रूप से विवाहित पुरुषों को निशाना बनाया गया था, जिससे कई महिलाओं का सिंदूर मिट गया।
ऑपरेशन सिंदूर का नाम क्यों रखा गया?
इस ऑपरेशन का नाम “सिंदूर” रखने के पीछे एक गहरा प्रतीकात्मक महत्व है। हिंदू परंपरा में सिंदूर विवाहित महिलाओं के सुहाग का प्रतीक है। यह नाम उन पत्नियों के सम्मान में चुना गया, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने पतियों को खो दिया। यह ऑपरेशन न केवल आतंकवादियों को सबक सिखाने का प्रयास था, बल्कि उन परिवारों के प्रति भारत की संवेदना और संकल्प को भी दर्शाता था।
ऑपरेशन का उद्देश्य और निष्पादन:
ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना और उन्हें नष्ट करना था। भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए की गई थी, न कि पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध को बढ़ावा देने के लिए।
6-7 मई 2025 की रात भारतीय वायुसेना ने एक समन्वित त्रि-सेवा अभियान (थलसेना, वायुसेना, नौसेना) के तहत पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इनमें बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, कोटली, मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में स्थित आतंकी ठिकाने शामिल थे। इन हमलों में लॉइटरिंग म्यूनिशन्स और क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया, जिससे आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा और बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए।
ऑपरेशन के बाद की स्थिति:
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसके बाद 10 मई 2025 को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई। भारत ने वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ता का संदेश दिया और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया। प्रधानमंत्री मोदी ने 13 मई को कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर अब नया सामान्य है। हम आतंकवाद के खिलाफ लक्ष्मण रेखा खींच चुके हैं।”
निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई थी जिसने भारत की बदलती आतंकवाद-रोधी रणनीति को दर्शाया। यह भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस ऑपरेशन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की “जीरो टॉलरेंस” नीति को मजबूत किया और एक स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।